हर रात मजबूर तुम भी होते हो
हर रात मजबूर हम भी होते है
कहना तुम भी बहुत कुछ चाहते हो
कहना हम भी बहुत कुछ चाहते है
तुम्हारी जिद्द मुझे अपने से दूर करने की
मेरी जिद्द तुम्हे अपना बनाने की
इस कशमकश में करना तुम भी
बहुत कुछ चाहते हो
करना हम भी बहुत कुछ चाहते है
इस रिश्ते की डोर इस तरह कमजोर होगी
न तुमने सोचा था न हमने सोचा है - श्वेता त्यागी
इस रिश्ते की डोर इस तरह कमजोर होगी
ReplyDeleteन तुमने सोचा था न हमने सोचा है
मनः स्थिति को दर्शाती
बहुत ही सुन्दर रचना
लाजवाब ....